विदेश मंत्री ने चीन को लेकर क्या कहा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

External Affairs Minister Dr. S. Jaishankar speaking at a podium with a serious expression, alongside Hindi text on a blue background reading “भारत-चीन संबंध: विदेश मंत्री जयशंकर के महत्वपूर्ण बयान और आगे की राह”.

आज, 14 जुलाई 2025 को, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ विस्तृत बातचीत की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयास जारी हैं, विशेषकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बाद। जयशंकर के बयान न केवल मौजूदा स्थिति को दर्शाते हैं, बल्कि भविष्य के संबंधों की दिशा भी निर्धारित करते हैं।


जयशंकर का स्पष्ट रुख: LAC पर सामान्य स्थिति सबसे ऊपर

विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि पिछले नौ महीनों में द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने में “अच्छी प्रगति” हुई है, लेकिन अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति को सामान्य बनाना सबसे महत्वपूर्ण है। उनका यह बयान इस बात पर ज़ोर देता है कि सीमा पर शांति और स्थिरता ही दोनों देशों के बीच संबंधों को पूरी तरह से पटरी पर लाने की कुंजी है।

LAC पर लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध ने दोनों देशों के बीच विश्वास को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। जयशंकर के शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि भारत सीमा पर यथास्थिति बहाल करने और किसी भी तरह के अतिक्रमण को स्वीकार न करने की अपनी नीति पर दृढ़ है।


‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापार उपायों से बचने की सलाह

जयशंकर ने बातचीत के दौरान यह भी सलाह दी कि दोनों देशों को “प्रतिबंधात्मक” व्यापार उपायों से बचना चाहिए। यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीमा विवाद के बाद भारत ने चीन से आने वाले कई ऐप्स और कुछ निवेशों पर प्रतिबंध लगाए थे। जयशंकर का इशारा इन उपायों को हटाने या कम करने की ओर हो सकता है, बशर्ते LAC पर स्थिति सामान्य हो।

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यह दर्शाता है कि भारत व्यापारिक संबंधों को पूरी तरह से बंद करने के बजाय, उन्हें स्थिरता और विश्वास के माहौल में आगे बढ़ाना चाहता है। एक स्थिर व्यापार संबंध दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब सीमा पर शांति बनी रहे।


बातचीत और कूटनीति का महत्व

यह बैठक और जयशंकर के बयान इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं कि भारत और चीन के बीच जटिल मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति कितनी महत्वपूर्ण है। उच्च स्तरीय वार्ताओं के माध्यम से ही गलतफहमियों को दूर किया जा सकता है और विश्वास निर्माण के उपाय खोजे जा सकते हैं।

हालांकि, यह भी साफ है कि भारत किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा तथा संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। बातचीत का उद्देश्य पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजना है, न कि एकतरफा शर्तों को स्वीकार करना।


आगे की राह

भारत-चीन संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं, लेकिन जयशंकर के हालिया बयान एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं:

  • सीमा पर शांति प्राथमिकता: LAC पर पूर्ण रूप से सामान्य स्थिति की बहाली सबसे पहली शर्त है।
  • व्यापार में सहयोग: सीमा मुद्दे सुलझने पर व्यापारिक संबंधों में सुधार की संभावना है।
  • सतत कूटनीति: बातचीत का रास्ता खुला रखना ज़रूरी है, ताकि मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जा सके।

यह देखना होगा कि चीन इन बयानों पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या दोनों देश वास्तव में संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं। यह निश्चित रूप से आने वाले समय में वैश्विक भू-राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

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