बिहार में नाग पंचमी पर जिंदा साँपों के साथ निकली श्रद्धालुओं की शोभा यात्रा, वीडियो हुआ वायरल

"बिहार में नाग पंचमी पर्व के दौरान पारंपरिक पोशाक में श्रद्धालु जिंदा साँपों को गले और हाथों में पकड़े हुए, पीछे ग्रामीण भीड़ और मंदिरनुमा पृष्ठभूमि"

बिहार के ग्रामीण इलाकों में इस वर्ष की नाग पंचमी कुछ खास रही। यहाँ के श्रद्धालु ना सिर्फ नाग देवता की पूजा कर रहे हैं, बल्कि जिंदा साँपों को अपने गले, कंधों और हाथों में लेकर शोभा यात्रा में भाग लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।
इस परंपरा के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देखकर लोग हैरान भी हैं और श्रद्धा से भर भी जा रहे हैं।

🎥 वायरल वीडियो क्यों चर्चा में है?

  • अनोखा दृश्य: आमतौर पर जिंदा साँपों से दूर रहा जाता है, लेकिन इन वीडियो में लोग इन्हें प्यार और श्रद्धा से थामे हुए हैं।
  • परंपरा और आधुनिकता का मेल: ग्रामीण परिवेश में हो रही इस प्राचीन परंपरा को लोग मोबाइल में कैद कर रहे हैं — यह दृश्य इंटरनेट यूज़र्स को बहुत भा रहा है।
  • भावनात्मक अपील: कई कैप्शन में लिखा गया – “जहाँ आस्था है, वहाँ डर नहीं” – जिसने वीडियो को और वायरल बना दिया।

🌿 साँपों की पूजा का धार्मिक महत्व

नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जिसमें साँपों को संपत्ति, उर्वरता और जीवन शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में यह पर्व विशेष उत्साह से मनाया जाता है। साँपों की पूजा कर माता विषहरी और नाग देवता से सुरक्षा और समृद्धि की कामना की जाती है।

⚠️ सवाल भी उठे: आस्था बनाम सुरक्षा

जहाँ कुछ लोग इस आयोजन की संस्कृति और परंपरा की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने चिंता भी जताई:

  • पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि जिंदा साँपों का इस तरह प्रदर्शन करना उनके लिए हानिकारक हो सकता है।
  • चिकित्सकों ने चेताया कि बिना विशेषज्ञ की निगरानी में जिंदा साँपों को थामना खतरनाक हो सकता है, खासकर बच्चों के लिए।
  • प्रशासन ने आयोजनकर्ताओं से आग्रह किया है कि साँपों की देखभाल हो और सुरक्षा नियमों का पालन किया जाए।

🔮 आगे क्या?

  • नाग पंचमी के अगले चरणों में आयोजक सुरक्षा दिशा-निर्देशों को स्पष्ट करेंगे।
  • परंपरा और आधुनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने को लेकर चर्चा तेज हो सकती है।

🧠 निष्कर्ष

बिहार की इस नाग पंचमी ने केवल धार्मिक भावना को नहीं, बल्कि आस्था और आधुनिक सोच के टकराव को भी सामने ला दिया है।
जिंदा साँपों के साथ निकली यह शोभा यात्रा इंटरनेट पर भले ही आकर्षक लगे, लेकिन इसके पीछे एक संवेदनशील जिम्मेदारी भी है — ताकि आस्था के साथ-साथ जानवरों और लोगों की सुरक्षा भी बनी रहे।

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